· डॉ सत्य नारायण स्नेही
ा किसी कसावट या बुनावट के हू ब हू शब्दों में पिरो दिया ।मानव जीवन की अनेक सूक्ष्म अनुभूतियों को बिना किसी बाह्य आरोपण के कवि ने शब्दों का जामा पहनाया है,चाहे वो आदमी के भीतर पनप रही कई तरह की अवधारणाए हो ,चाहे लोक जीवन में व्यप्त अनेक विसंगतियां हो या मानव मूल्यों का क्षरण या रिश्तों की अहमियत, बड़ी सहजता से इनकी कविताओ में अभिव्यक्ति हुई है। यद्यपि कवि ने शिल्प को ज्यादा तरजीह नही दी है , अपनी स्वाभाविक काव्य कला से आत्मानुभूति को सरल भाषा में नैसर्गिक अभिव्यक्ति दी है। निःसन्देह कवि मनोज चौहान में कविता की अपार सम्भावनाएं है
· डॉ सत्य नारायण स्नेही
विस्तृत समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए डॉक्टर सत्य नारायण स्नेही जी एवं ब्लॉग पर लगाने के लिए रौशन जसवाल जी का आभार !
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