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अनकहे जज़्बात” राजीव डोगरा जी का प्रथम काव्य संग्रह है इसमें कुल पचास कविताएं शामिल हैं ये सभी कविताएँ विभिन्न विषयों के प्रति विभिन्न मनोभावों को अपने में समाहित किए हुए हैं । कवि के जीवन का एक-एक अनुभूत क्षण इन कविताओं में झलकता है कविताओं की भाषा कलिष्ट व  बोझिल नहींबल्कि सरल है, इतनी सरल है कि आम से लेकर खास तक किसी भी स्तर के पाठक को पढ़ने में कोई मुश्किल नहीं आएगी । कवि ने सीधे- सीधे आम बोलचाल की ज़ुबान में अपनी बात कह देने में महारत हासिल है बिना किसी अतिरिक्त प्रयास या लाग लपेट के अपनी बात कह कर आगे निकल जाने का चमत्कार अनकहे जज़्बात” में यत्र तत्र सर्वत्र दिखाई देता है । यह काव्य संग्रह महक रहा है । पृष्ठ-पृष्ठ पर एक अनोखी सुगंध विद्यमान नज़र आती है सुंदर शब्द पुष्पों से गुंफित हार है ...... अनकहे जज़्बात l


हिमाचल प्रदेश के नामचीन युवा साहित्यकारों में मनोज चौहान का नाम आदर से लिया जाता है। मनोज चौहान मूलत: कवि हैं। कविता संग्रह 'पत्थर तोड़ती औरत' 2017 से देश-भर में चर्चा में है। कविताओं के साथ-साथ लघुकथाएँ भी देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं। मनोज चौहान में सघन संवदेना, व्यवस्था पर प्रश्न चिह्नï का साहस, अपने आसपास व सामयिक स्थितियों-परिस्थितियों पर गहन दृष्टि, विषय की समझ, व्यापक सामाजिक दायित्वबोध, प्रस्तुतीकरण में पूरी इमानदारी है। इस संग्रह में भोलापन, गुड्डे को सॉरी बोलो, पापा आप कब आओगे, मैं छोटी बच्ची नहीं, समझदारी आदि बाल मनोविज्ञान की स्पर्शी लघुकथाएँ हैं। उधारी नहीं होगी, ग्रामीण वृद्धा के बहाने सम्पूर्ण देश की भोली-भाली परिश्रमी स्त्री के भोलेपन को दर्शाती कारुणिक लघुकथा है। चांडाल-चौकड़ी, असमंजस, आत्मबोध नामक लघुकथाएँ नवीनता लिए हुए हैं। 'भीख' आरक्षण और उसे गलत तरीके से पाने की प्रवृत्ति पर करारी चोट है तो वहीं शार्मिंदगी संस्कार विहीनता दर्शाती है। लोक-लाज सामाजिक पाखंड पर सटीक थप्पड़ एवं 'लिहाफ' विस्तृत फलक लिए लघुकथा है। मनोज चौहान का लघुकथाकार पूरी तरह सजग है। इस संग्रह में ग्राम्य जीवन, सामाजिक मूल्यों, सत्य के पक्ष में, टोने-टोटके के अन्धविश्वास के विरुद्ध, पीड़ा-बेचारगी से उबारती, चारित्रिक ह्रास के ख़िलाफ़ संवेदना जगाती एवं मूक को वाणी देती संप्रेषणीय लघुकथाएँ हैं। मनोज चौहान के लघुकथा संग्रह 'देवता झूठ नहीं बोलता' का साहित्य क्षेत्र में आगमन महत्त्वपूर्ण एवं स्वागत योग्य कदम है। —कृष्ण चन्द्र महादेविया


 
डॉ. कौशल्या ठाकुर, अभिमन्यु कमलेश राणा, अनिल शर्मा नील, डॉ.अशोक विश्वाममित्र, अतुल कुमार, देव दत शर्मा, हंस राज ठाकुर, हितेन्द्र शर्मा, मधु वासिष्ठ, डॉ मस्त राम शर्मा, डॉ.नरेन्द्र शर्मा, नीना शर्मा, डॉ.नीरज पखरोलवी, निताली चित्रवंशी , डॉ. प्रेम लाल गौतम, प्रेम कश्यप, राधा सिंह, डॉ राजन तन्वर, राजीव डोगरा, प्रो.रणजोध सिंह, रत्न चन्द निर्झर, रवींद्र दत्त जोशी, डॉ. रीना शर्मा, आर.आर. रतन, संत राम शर्मा, सतीश रतन, डॉ. शंकर वासिष्ठ, शाहिदा रोज़ी, सोनिया पखरोलवी , उदयवीर भारद्वाज और रौशन जसवाल विक्षिप्त की कविताएं.

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