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22 September 2024

पुस्तक-समीक्षा लघुकथाओं में जीवन के विभिन्न रंग कोई अपना रतन चंद 'रत्नेश

September 22, 2024 0
कहानी और लघुकथा के साथ-साथ अन्य विधाओं में भी समान रूप से अपनी कलम चलाने वाले वरिष्ठ साहित्यकार रतन चंद 'रत्नेश' की हालिया प्रकाशित पुस्तक 'कोई अपना' में कुल साठ लघुकथाएं हैं। उल्लेखनीय है कि रत्नेश हिमाचल प्रदेश के लघुकथा साहित्य पर समय- समय पर आलेख लिखते रहे हैं और 'हिमाचल का लघुकथा संसार' नामक उनका लेख कई पुस्तकों, पत्रिकाओं और वेबसाइटों में शामिल है। उनके संपादन में हिमाचल के लेखकों की कुछ पुस्तकें पहले भी प्रकाशित हो चुकी हैं। लघुकथा क्षेत्र में एक पहचान...
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26 July 2024

कुल राजीव पंत जी के कविता संग्रह "पृथ्वी किताबें नहीं पढ़ती" का लोकार्पण..

July 26, 2024 0
 कुल राजीव पंत जी के कविता संग्रह "पृथ्वी किताबें नहीं पढ़ती" का लोकार्पण.. फेसबुक पर आत्‍मा रंजन शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थिएटर का कॉन्फ्रेंस हॉल अग्रज कवि कुल राजीव पंत जी के सद्य प्रकाशित कविता संग्रह "पृथ्वी किताबें नहीं पढ़ती" के शानदार विमोचन समारोह का गवाह बना। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी श्रीयुत श्रीनिवास जोशी जी ने की जबकि वरिष्ठ कवि आलोचक प्रो. कुमार कृष्ण जी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में...

26 June 2024

पहाड़ों से जड़ों की तरह लिपटे कवि का संग्रह " देवदार रहंगे मौन" -- प्रकाश बादल

June 26, 2024 0
मेरे भीतर समाए कवि मोहन साहिल की कविता पर... खामखा की बात... मोहन साहिल..... जिसने मुझे खुद से दूर कर दिया....  इन दिनों शिमला के रिज मैदान पर साहित्य का एक मेला लगा हुआ है | जहाँ पर ठियोग के एक महत्वपूर्ण कवि मोहन साहिल के दूसरे काव्य संग्रह ‘देवदार रहेंगे मौन’ का लोकार्पण हुआ, अपनी बात वहीं से शुरू करना चाहता हूँ | एक ठेठ पहाडी की पहचान लिए सादे कपड़ों में एक ढाबे पर चाय बनाने वाला कवि कितनी मीठी-मीठी कवितायेँ लिखता है यह उसकी कविताएँ पढ़कर अहसास...

10 March 2024

संवेदना, टीस और हौंसले का संगम...... अनकहे जज़्बात

March 10, 2024 0
 काव्य संग्रह   अनकहे जज़्बात - राजीव डोगरा  !   डॉ. नीरज पखरोलवी !  “अनकहे जज़्बात” राजीव डोगरा जी का प्रथम काव्य संग्रह है l इसमें कुल पचास कविताएं शामिल हैं l ये सभी कविताएँ विभिन्न विषयों के प्रति विभिन्न मनोभावों को अपने में समाहित किए हुए हैं । कवि के जीवन का एक-एक अनुभूत क्षण इन कविताओं में झलकता है l कविताओं की भाषा कलिष्ट व  बोझिल नहीं, बल्कि सरल है, इतनी सरल है कि आम से लेकर खास तक किसी भी स्तर के...

06 March 2024

पुस्तक 'लाडो' की समीक्षा

March 06, 2024 0
साझा काव्य संग्रह 'लाडो' की समीक्षा ।  समीक्षक प्रो रणजोध  सिंह। संपादन रौशन जसवाल।                 लाडो हमारे घरों की आन-बान और शान लाडो शब्द का ध्यान करने मात्र से ही हृदय रोमांचित हो जाता है| आंखों के सामने दौड़ने लगती हैं एक छोटी सी परी, अठखेलियाँ, शरारत या मान-मनुहार करती हुई, जिसकी हर क्रिया से केवल प्रेम झलकता है और जिसे इस जगत के लोग बेटी, परी, या लाडो कहकर पुकारते हैं| विवेच्य काव्य...